जब सामाजिक सहिष्णुता छलनी होने लगती है,,
सत्ता की अपराधी से जब मिलनी होने लगती,,
जब भारत मे अफजल के भी नारे लगने लगते है,,
पाकिस्तान आबाद रहे जयकारे लगने लगते है,,
जेएनयु जब गढ बन जाये भारत के गद्दारों का,,
घर घर अफजल निकलेगा इन देशद्रोही नारो का,,
खाते है इस देश का लेकिन पाकिस्तानी लगते है,,
उनके हर जज्बात मुझे बस कारस्तानी लगते है,,
भारत मां के हर आंशु तो तब शर्मसार हो जाते है
जब राहुल कजरी उमर संग मुगली बिरयानी खाते है,,
इससे अच्छा मर जाते वो बस डूब के चुल्लु पानी मे,,
किचिंत भी शर्म नही आई संग गद्दारों के जाने मे,,
जाने कैसी अब नजर लगी संसद के इन गलियारों को,,
इशरत बेटी सी लगती है इन खाकी के मक्कारो को,,
इतना सुनले जो भारत की पावनता को गिरराते है,,
दिन रात जो घृणित कृत्यों से बस मां का दूध लजाते है,,
गर घर घर से अफजल निकला तो दर दर जूत लगायेगे,,
बकरो की इन औलादों को हम सिहं का मूत पिलायेगे,,
ये "धीर" राम का सेवक है कण कण मे राम समाता है,,
यमलोक दिखादो झट उनको जो भारत पर गुर्राता है,,
धीरेन्द्र गुप्ता"धीर"
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