Wednesday, February 1, 2023

रावण को पलते देखा है...

मैने रावण के हाथों रावण को जलते देखा है..

कलियुग मे सीता को अक्सर श्रीराम ही छलते देखा है..

अब सभी जटायु मौन हुऐ सीता को कौन बचायेगा..

मैने हर गली चौराहे पर रावण को‌‌ पलते देखा है..

बाली मिलते है गली गली सुग्रीव की नारी हरने को..

नारी को समझ खिलौना सा बालक सा मचलते देखा है..

अंगद जैसे अब वीर कहां वो साहस कहां से लाओगें..

बन दूत टिकाये चरण कमल सिहांसन हिलते देखा है..

हनुमान सी भक्ति का जग मे दूजा ना कोई उदाहरण है..

सोने की सुन्दर लंका को अग्नि मे सिमटते देखा है..*

सुर्पनखा के यौवन से किंचित भी ना भटकाव हुआ.*

त्रिया के चरित्र विफल देखे बस नाक को कटते देखा है..*

अरिदल मे बैठा वीभीषण अपनों पर दांव लगाने को..*

इतिहास गवाह है कुल नाशक इतिहास बदलते देखा है.*

यहां "धीर" बदलते हर युग में नारी की अग्नि परीक्षा है..*

कानाफूसी परिपाटी पर  श्रीराम को चलते देखा है..*


धीरेन्द्र गुप्ता " धीर"

9414333130

No comments:

अपना बनाले कोई

आज की रात मेरा दर्द चुरा‌ ले कोई.. चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई.. तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा.. मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई...