आज की रात मेरा दर्द चुरा ले कोई..*
*चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई..*
*तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा..*
*मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई..*
*राख हूं, खाक हूं उम्मीद हूं एक टूटी हुई..*
*मै संवर जाऊंगा ख्वाबों मे सजाले कोई..*
*तेरी खुश्बु मेरी यांदों से क्यो नही जाती..*
*जैसे अहसास हवाओं का बहा ले कोई..*
*बेडा दरियां के किनारों पे आ डूबा बैठे हम..*
*बैठे जिस डाल पे आरी यूं चलाले कोई..*
*मेरा मुर्शिद ही मेरी जान का दुश्मन निकला..*
*बडी आफत मे पडी जान बचाले कोई..*
*"धीर" कौडी मे बिके लाख मे बिकने वाले..*
*जैसे हस्ती सरेबाजार मिटाले कोई..*
*धीरेन्द्र गुप्ता " धीर"*
9414333130
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