Tuesday, February 14, 2023

भ्रम पाल कर बैठे है..

कुछ वहम हुआ है अदनों को, वो भ्रम पाल कर बैठे है...

पतझड के चलन देख माली , क्यो दर्ख पाल कर बैठे है..

किरदारों ‌की इस नगरी मे, मुखटों के चलन हजारों है..

उठते जज्बातों के रण मे, हम सब्र पाल कर बैठे है..

जीवनपथ की पगडंडी पर, रिश्तों का खेल अनोखा है..

मांझी टूटी पतवारों पर मांझी, ज्यो दर्प पाल कर बैठे है..

लगडे घोडे पर दांव लगा,  जो रेस जीतना चाहते है..

शातिर वो सकल जुआरी है ,जो कर्ज पाल कर बैठे है..

शकुनि की चालों से खुद को ,कैसे महफूज रखे कोई..

रिश्तों की खोती तपीश देख ,जो बर्फ पाल कर बैठे है..

जो डरते थे विषदंतों से ,अब जहर उगलते देखे है..

मुषक भी " धीर" जमाने में ,अब सर्प पाल कर बैठे है...

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अपना बनाले कोई

आज की रात मेरा दर्द चुरा‌ ले कोई.. चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई.. तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा.. मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई...