Friday, August 18, 2023

कद जमाने मे...

 दरो दरवाजे कब तय करने लगे कद जमाने मे..

हजारों साल लग जाते है खुद का कद बनाने मे..

खनक चंद रेजगारी की भला क्या हैसियत होगी..

आदमी रोज मरता है यहां  रिश्ते बचाने मे..

कोई पद तो कोई ऐठा है पैसों की रिवायत मे..

आदमी टूट जाता है यार अच्छे कमाने मे..

तराजू लेके बैठे है यहां कुछ तौलते कद को..

"धीर" काबिल नहीं है जो हमे अब आजमाने मे..


धीरेन्द्र गुप्ता " धीर"

Saturday, August 5, 2023

द्वंद्व जिगर मे पलता होगा..

 द्वंद्व जिगर मे पलता होगा..

द्वेष जहन मे चलता होगा..

ढूंढे मृग यहां कस्तूरी..

देख छलावा खलता होगा..

तुझसे बडा अहम है तेरा..

सांझ को सूरज ढलता होगा..

खूद से अक्सर दूरी रखकर..

कैसे समय निकलता होगा..

जैसे बच्चा देख खिलौना 

रोता खूब मचलता होगा..

अवगुण लाख हजारों लेकर..

कैसे रोज सम्भलता होगा..

मैने देखे ऐब हजारों..

बस खूद से अंजान रहा मैं..

बस खुद से पहचान जरुरी..

"धीर" स्वयं से मिलता होगा..

बस रहो खामोश जब हालात पर आने लगे...

आजकल सम्बन्ध सब सवालात पर आने लगे..

बीबी और शौहर के झगडे तलाक पर आने लगे..

अब पडौसी से पडौसी जल रहा बेबात पर..

थे मसौदे आपसी वो लात पर आने लगे..

कल तलक इंसानियत से जो बंधे थे वास्ते..

आज कल बिगडी फिजा तो जात पर आने लगे..

दोस्त कहकर जो दगा दे छोडिये उस दोस्त को..

साथ खाना, पीना, उठना घात पर आने लगे..

देख कर अपनी बुलंदी जल रहे अंदर तलक..

बेवजह ही सिरफरे जज्बात पर आने लगे..

कान मे कपास हो तो बात क्या समझाईये..

बस रहो खामोश जब हालात पर आने लगे...

देख कर दस्तूरे दुनियां " धीर" समझाले ये मन..

भोर का सूरज ये समझो रात पर आने लगे...

Thursday, August 3, 2023

चुप रहने की कीमत पर ही...

वर्तमान के परिदृश्य पर मौन साधना खलती है..

चुप रहने की कीमत पर ही सहिष्णुता पलती है..

कायरता के प्रतिबिंब पर भविष्य निर्धारित होता है..

हिरणाकश्यप जिद्द पाले तो यहां होलिका जलती है..

पदचिन्हों पर चलने वाले कब इतिहास बनाते है..

पदचिन्हों के गढने से ही किस्मत लेख बदलती है..

माना खूब उजाला है लेकिन अंधियारा भी होगा..

सुबह की चादर भोर समटे हर सांझों को ढलती है..

द्वेष पालकर बैठे रहना ये मन की कमजोरी है..

कुछ भूलों पर सदियों तक भी पीढ़ी हाथे मलती है..

गीत जागरण के गाकर जो खूब तानकर सोते है..

मौत को एक दिन आना ही है "धीर" कहां कब टलती है..

अपना बनाले कोई

आज की रात मेरा दर्द चुरा‌ ले कोई.. चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई.. तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा.. मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई...