आजकल सम्बन्ध सब सवालात पर आने लगे..
बीबी और शौहर के झगडे तलाक पर आने लगे..
अब पडौसी से पडौसी जल रहा बेबात पर..
थे मसौदे आपसी वो लात पर आने लगे..
कल तलक इंसानियत से जो बंधे थे वास्ते..
आज कल बिगडी फिजा तो जात पर आने लगे..
दोस्त कहकर जो दगा दे छोडिये उस दोस्त को..
साथ खाना, पीना, उठना घात पर आने लगे..
देख कर अपनी बुलंदी जल रहे अंदर तलक..
बेवजह ही सिरफरे जज्बात पर आने लगे..
कान मे कपास हो तो बात क्या समझाईये..
बस रहो खामोश जब हालात पर आने लगे...
देख कर दस्तूरे दुनियां " धीर" समझाले ये मन..
भोर का सूरज ये समझो रात पर आने लगे...
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