वर्तमान के परिदृश्य पर मौन साधना खलती है..
चुप रहने की कीमत पर ही सहिष्णुता पलती है..
कायरता के प्रतिबिंब पर भविष्य निर्धारित होता है..
हिरणाकश्यप जिद्द पाले तो यहां होलिका जलती है..
पदचिन्हों पर चलने वाले कब इतिहास बनाते है..
पदचिन्हों के गढने से ही किस्मत लेख बदलती है..
माना खूब उजाला है लेकिन अंधियारा भी होगा..
सुबह की चादर भोर समटे हर सांझों को ढलती है..
द्वेष पालकर बैठे रहना ये मन की कमजोरी है..
कुछ भूलों पर सदियों तक भी पीढ़ी हाथे मलती है..
गीत जागरण के गाकर जो खूब तानकर सोते है..
मौत को एक दिन आना ही है "धीर" कहां कब टलती है..
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