Wednesday, February 1, 2023

जाती के जंजाल....

तुम जाती के जालों मे 

अटके हो कीट पतंगों से..

जाती के दलदल मे भटके 

हो बुद्धिहीन मलंगों से..

हर पंचवर्ष की बारिश मे 

मेढक जो बाहर आते है..

जो कभी हुऐ ना जाती के 

वो जाती के गुण गाते है..

जिनका सारा जीवन गुजरा 

भाई से भाई लडाने मे..

वो बनके हितैषी आ टपके 

वोटो की चोट लगाने मे..

अचरज है शिक्षाहीन यहां 

शिक्षित तक को भरमाते है..

मुर्ख बन बुद्धिमान यहां 

जाती की रटन लगाते है..

सब जानते है ये जहर 

हमें विकसित कब होने देता है..

जाती के चक्कर मे वोटर 

कांटे ही बोने देता है..

बेटी रोटी के नाते मे जाती 

का मान जरूरी है..

लेकिन जब चयन करो नेता 

तो होना ज्ञान जरुरी है..

जातिवादी परिपाटी मे 

विकास अवरुद्ध हो‌ जाता है..

जनता के हक का पैसा ही 

नेता बस लूट के खाता है..

अज्ञानी ओर बेदम नेता 

सत्ता का हवाला देते है..

सरकार हमारी अभी नहीं 

हर बार बहाना देते है..

बस " धीर" कहे इतना सुनलो 

निकलो जाती के जालों से..

दल,बल, जाती का मोह त्याग 

हम जोडे हाथ दलालों से..


धीरेन्द्र गुप्ता " धीर"

9414333130



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आज की रात मेरा दर्द चुरा‌ ले कोई.. चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई.. तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा.. मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई...