Wednesday, February 1, 2023

मेरी मां

मेरी हर गलतियों को मां

हमेशा टाल देती है..

गिले शिकवे हजारों दिल से 

मां निकाल देती है..

यहां उलझन हजारों है

पकड के अंगुलीयां मेरी..

मै गिरता हूं मुझे हर हाल‌

मां सम्भाल लेती है...

कदम गर लडखडाएं जो

मेरी मां साथ रहती है..

बडी सिद्दत से मां बच्चों ‌को 

अपने पाल लेती है..

मुसीबत लाख हो सर पर

मुझे चिन्ता नहीं रहती..

वो अपने आप से हर 

मुश्किलों को ढाल लेती है..

उम्र के पायदानों से " धीर"

बूढा नहीं होता..

थकावट मे मेरी मां चूम‌

जो मेरा भाल लेती है..


धीरेन्द्र गुप्ता " धीर"

9414333130

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आज की रात मेरा दर्द चुरा‌ ले कोई.. चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई.. तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा.. मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई...