दोगले लोग है बातों मे बात रखते है..
गले मिलते है तो खंजर भी साथ रखते है..
सुना है शहर की गलियां भी तंग होने लगी..
फासले दरमियां ही आस पास रखते है..
बिमार था मुझे दवा की जगह जख्म दिये..
यार कुछ ऐसे भी जिगरी है खास रखते है..
खैरियत पूछते है दर्द ही देने वाले..
काले दिल है जुबानी मिठास रखते है..
मेरी तलाश मे हमराज ही मेरा निकला..
छुपा के दिल मे हजारों ही राज रखते है..
कैसे पहचानता फितरत छुपे नकाबों की..
इतने शातिर है की बदली आवाज रखते है..
मृगमारीच मे फंसकर बडे हैरान से है..
"धीर" उलझन मे भी होशो हवास रखते है..
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