पढना है तो खुद को पढलों,
मृग मारीचा छोड जरा..
सब दुनियां की भूल भुलैयां
कौन है खोटा कौन खरा..
मतलब के मोहजाल निगलते
सम्बंधों की परिपाटी..
उजियारों को नजर लगी है
अंधिकारों से जगत भरा..
"धीर"
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आंख से बहते हर आंसू, मन की पीडा हर लेते है.. बस शब्दों का मौन है रहता, बाकी सब कह लेते है.. जब से सफल हुऐ है अपने, मानों कोसो दूर हुऐ.. मेरे...
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