पढना है तो खुद को पढलों,
मृग मारीचा छोड जरा..
सब दुनियां की भूल भुलैयां
कौन है खोटा कौन खरा..
मतलब के मोहजाल निगलते
सम्बंधों की परिपाटी..
उजियारों को नजर लगी है
अंधिकारों से जगत भरा..
"धीर"
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आज की रात मेरा दर्द चुरा ले कोई.. चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई.. तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा.. मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई...
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