Sunday, June 11, 2023

उजियारों को नजर लगी है

 पढना है तो खुद को पढलों,

मृग मारीचा छोड जरा..

सब दुनियां की भूल भुलैयां 

कौन है खोटा कौन खरा..

मतलब के मोहजाल निगलते 

सम्बंधों की परिपाटी..

उजियारों को नजर लगी‌ है 

अंधिकारों से जगत भरा..

"धीर"

No comments:

अपना बनाले कोई

आज की रात मेरा दर्द चुरा‌ ले कोई.. चंद लम्हों के लिये अपना बनाले कोई.. तीर हूं लौट के तरकश मे नहीं आऊंगा.. मै नजर मे हूं निशाना तो लगाले कोई...