बेटी करे पुकार माँ हिम्मत हारो ना
मैं भी अंश हूँ तेरा माँ, मुझे मारो ना
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
धवल भेष में छुपे हुए हत्यारो ने
ऐसा जुर्म किया जग के गद्दारो ने
हुआ कलंकित पेशा ये, स्वीकारो ना
मैं भी ,,,,,,,,,,,,,,,,
तू जैसे रक्खेगी माँ मैं रह लुंगी
सदा रहे खुशहाल तू, दुःख मैं सहलुंगी
महकेगा आँगन घर का धिक्कारो ना
मैं भी,,,,,,,,,,,,,,
माना बापू लाख ये ताना मारेंगे
पढ़ लिख कर कुछ बन जाउंगी मानेंगे
समय बड़ा बलवान है माँ दुत्कारो ना
मैं भी,,,,,,,,,,,
दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती सब बेटी है
लेकिन आज नसीबो कि वो हेटी है
नारी है केवल श्रद्धा ललकारो ना
मैं भी,,,,,,,,,,,
जिस घर बेटी का होता, सम्मान नहीं
धन,विद्या, शक्ति का जिस घर मान नहीं
वो घर नरक समान`` धीर`` पहचानो ना
मैं भी,,,,,,
धीरेन्द्र गुप्ता`` धीर``
No comments:
Post a Comment