दूसरों के कद पे लहजा यूं लगाना छोड दे
बेवक्त ही गिर जायेगा यूं डगमगाना छोड दे
चाहे थोडी रख मगर पहचान अपनी चाहिये
अपने चेहरे पर यूं चेहरा अब लगाना छोड दे
"धीर"
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दोस्तों के कारनामें देखकर दुश्मनों से दिललगी सी हो गई.. कौन है अपना इसी तलाश मे खर्च सारी जिन्दगी सी हो गई.. उस दवा पर हो भला कैसा यकीं ...
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