यहां जीवन को बाहों का सहारा कौन देता है..
भरे मझदार मे कश्ती किनारा कौन देता है..
मौत के बाद दावत है जश्न भी है जुलुस भी है..
जो मरते भूख से बच्चे, निवाला कौन देता है..
देखकर हाथ मे अपनी लकीरे सोचता होगा..
बिना किस्मत मजे से हो गुजारा कौन देता है..
अलेदा है मेरी किस्मत हजारों खुशनसीबों से..
"धीर" बस रंज इतना है, इशारा कौन देता है...
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