Saturday, December 11, 2010
वो प्यारा सा एक बच्चा......
मै जिसके साये में रहता वो प्यारा सा एक बच्चा
हँसता रोता मुझे चिढाता वो न्यारा सा एक बच्चा...
निश्छल बाते गजब शरारत गूंजे किलकारी मन में
मैंने उसमे देख लिया सब, जग सारा सा एक बच्चा...
मीठी-मीठी बाते करके कर देता गम अंजाना
वो लगता जब हार मै जाता जलधारा सा एक बच्चा...
जब जीवन वीरान लगे तब गुलशन सा वो लगे हमें
आशा के आसमान पे दीखता वो तारा सा एक बच्चा....
कभी लगे की मै छोटा हूँ कभी लगे की वो छोटा
नन्हे कदमो से चल-चल कर वो हारा सा एक बच्चा......
मै जब-जब व्याकुल होता और संबंधो से जाता हार
"धीर" लगे वो मेरी जीत का हर नारा सा एक बच्चा...........
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डर लगता छदम हत्यारे से..
हमने कितने सीस कटाये, झूठे भाईचारे मे.. कुर्बानी का बोझ चढा है, भाई भाई के नारे मे.. गुरु गोविंद सिंह के बेटे हो या हो प्रताप की कुर्बानी.. ...
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वो मयखाने के पैमाने में सब खुशिया लुटा बैठा भरी मांगे,खनकती,चूडिया, बिंदिया लुटा बैठ...
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