एक डोली चली एक अर्थी चली, आज कैसी विदाई है
एक यहाँ से चली, एक वहा से चली, दोनों ही तो परे है .....
लाल जोड़े में सजती है दुल्हन- लाल जोड़े में लिपटी सुहागन
एक मिलने चली है पिया से- एक पी घर चली है अभागन
एक बसाने चली, एक बसाके चली, कैसी प्रीत निभाई है......
रो रहे है मगर हर्ष दिल में- एक तरफ रो रहे गमजदा है
हो रही है रस्म सब विदा की- एक को जाना यहाँ एक वहा है
एक इस घर चली, एक उस घर चली, चारो कांधे उठाई है............
बेटिया तो पराई है लेकिन- प्रीत की डोर ऐसी बंधी है
बेटिया तो पराई है लेकिन- प्रीत की डोर ऐसी बंधी है
"धीर" दस्तूर ये जिन्दगी का- बेडिया बन्धनों की कसी है
एक निभाने चली, एक निभाके चली, कैसी रस्मो अदाई है.....
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