वो हमें हम उन्हें आजमाते रहे
कशमकश जिन्दगी की बढ़ाते रहे........
कैसे आती नजर मुझको उसकी नजर
थे वो हुशियार ऐनक लगाते रहे...
था बहुत कुछ मगर मुफलिशी में जिए
खोटे सिक्के वो अपने चलाते रहे..........
मै उसूलो के जाले में उलझा रहा
दाव पर दाव वो भी लगाते रहे........
"धीर" हालात पर मुस्कुराये सदा
वो छुपाते रहे हम बताते रहे.........
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