सितम बेकसी पर गजब हो रहा है
बता मेरे मालिक तू कहा सो रहा है.....
गरीबो की गर्दन अमीरों के फंदे
सितम ढा रहे है ये दौलत के अंधे
गरीबो का दुसमन जहाँ हो रहा है....बता........
गरीबो की इज्जत पर पड़ते है डाके
मिला क्या तुझे ऐसी दुनिया बनाके
खुदाई पे तेरी सुधा रो रहा है...बता.......
जरा आस्मा से उतर के तो आजा
दिखाऊ तुझे तेरे जग का तमाशा
दुसमन यहाँ "धीर" जहाँ हो रहा है.....बता.......
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