इस शहर से संस्कारो को गए अरसा हुआ
आँख से सुन्दर नजारों को गए अरसा हुआ......
वादियों में हसरते गुलशन चमन गुलजार था
फूल से खुश्बू बहारो को गए अरसा हुआ.......
वो सितम की रात काली सर पे सायो की कसर
मेरे घर से सब दीवारों को गये अरसा हुआ.....
हलकी सी बरसात में ही छत दिलो तक तर हुई
अब अमन और चैन को दर से गये अरसा हुआ.....
मै किसे हिम्मत बंधाता और देता हौसला
अब दिलो से हमदर्दियो को गये अरसा हुआ......
हिन्दुओ के घर कुराने मुस्लिम पढ़े गीता यहाँ
"धीर" ऐसे मंजरो को अब गये अरसा हुआ......
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