चंद रातो में भूल जाते है....
याद रहता है बस सुनहेरा सफ़र
लोग नातो को भूल जाते है....
जिसने देखा था दुलारा था उसे
ऐसी आँखों को भूल जाते है....
जिसके आँचल में गुजरा बचपन
उन्ही सांसो को भूल जाते है....
लोरिया गाके सुलाया करती
फैली बाँहों को भूल जाते है...
मिल गई मंजिले जिनको यहाँ अंजाने में
गुजरी राहों को भूल जाते है....
अपना अपना नसीब है प्यारे
ख़ास यादों को भूल जाते है...
"धीर" मतलब परस्त लोग यहाँ
अपने वादों को भूल जाते है...
No comments:
Post a Comment