अब कलंकित दिखाई धवल जायेगे...
पाठशाला में होने लगे है जख्म
चेले गुरुओ के हाथो छले जायेगे...
वासना का समुन्द्र भरा सोच में
देख कन्या गुरुजन मचल जायेगे.....
सरस्वती का भवन भी कलंकित हुआ
गुरुवर संस्कृति को निगल जायेगे...
बदले युग में यो रिश्ते दरकने लगे
रिश्ते पावन हदों से निकल जायेगे...
"धीर" तस्वीर सब साफ़ दिखने लगी
ठोकरे जब पड़ेंगी संभल जायेंगे....
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