संबंधो का गर उनको एहसास नहीं होता
तो राजतिलक की जगह सुबह वनवास नहीं होता..........
रहते मर्यादा में ना खेलते जो चौसर
तो दुष्ट दुशासन का दुश्साहस नहीं होता......
सोने का हिरन लोगे सीता का हरण होगा
सीता का लंका में कभी वास नहीं होता....
कुछ लोग मेरे घर में रहते है मेहमा से
अपनों में दुश्मन का आभास नहीं होता................
अक्सर विपदाओ में हम ढूढते है अपने
मै रो पड़ता हू जब कोई पास नहीं होता........
घर में खामोशी है चौपाले सूनी है
अब "धीर" यहाँ कोई परिहास नहीं होता...............
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दोस्तों के कारनामें देखकर
दोस्तों के कारनामें देखकर दुश्मनों से दिललगी सी हो गई.. कौन है अपना इसी तलाश मे खर्च सारी जिन्दगी सी हो गई.. उस दवा पर हो भला कैसा यकीं ...
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वो मयखाने के पैमाने में सब खुशिया लुटा बैठा भरी मांगे,खनकती,चूडिया, बिंदिया लुटा बैठ...

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