Tuesday, September 5, 2023

बाजारी है...

 विस्वास कसौटी पर व्यवहार बाजारी है..

शमशीर चमकती है पर धार बाजारी है..

सच लिखने वाले अब, सच बोल नहीं सकते..

है कलम बाजारी ओर अखबार बाजारी है..

मुर्दे के कफन, सजदे, ईमाम, पुजारी सब..

दर के इक इक यहां देव, अवतार बाजारी है..

हर पग पर धोखा है हर घर मक्कारी है..

कानून की तहरीरे, इंसाफ बाजारी  है..

वर्दी मे छुपे बैठे जनता के मुहाफिज ही..

दिल खोल के लूटते है, आधार बाजारी है..

कीमत पर बिकता है ईमान दरोगा का..

नीलाम " धीर" इक इक संस्कार बाजारी है..

No comments:

आंसू

आंख से बहते हर आंसू, मन की पीडा हर लेते है.. बस शब्दों का मौन है रहता, बाकी सब कह लेते है.. जब से सफल हुऐ है अपने, मानों कोसो दूर हुऐ.. मेरे...