सुलगती धूप मे आंशु जलाकर देख लेना..
रेत के ढेर पर मछली का आना देख लेना..
समझ जाओगे एक मजदूर की मजबूरियों को..
तपते लोहे पर पानी गिराना देख लेना..
कश्तियों के मुकद्दर मे सदा साहिल नहीं होते..
बाढ की वेग मे खोता किनारा देख लेना..
यहां तकदीर की ताबीर मे क्या क्या लिखा है..
सुबह की धूप मे ढलता सितारा देख लेना..
यहां ऊंचाईयों पर आज जो अभिमान पाले है..
जमी पर पर्वतों का गिर के आना देख लेना..
यहां कुछ लोग ऐसे है खुदा खुद को समझते है..
हजारों दफन तुर्बत मे जनाजा देख लेना..
यहां मतलब की हर बुनियाद पर सम्बन्ध बनते है..
टूटकर " धीर' एक दिन तुम जमाना देख लेना..
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