लुटती धरती लुटता अम्बर देखा है...
हा मैने कश्मीर का मंजर देखा है...
एक विशेष धर्म के ठेकेदारों ने...
जहर भरा मस्जिद की चार मिनारों ने..
अमन चैन की बाते अक्सर होती थी..
दर्द हुआ सीता को सलमा रोती थी..
जलती बस्ती,और पलायन देखा है...
हा मैने......
यार मेरा अख्तर बचपन का साथी था...
आज बना वो भीड, बडा उन्मादी था...
बीना, ममता, शारदा रोती देखी है...
वहशी के हाथों सब खोती देखी है...
हर चेहरे शैतान को अंदर देखा है...
हा मैने ....
धरती पर जब स्वर्ग नरक बन जाता है...
हर शै पर बस खौफ का झौका आता है...
घाटी मे था शोर धर्म के अंधो का...
कहते खुद को पाक जिगर के गंदो का...
आंखों मे नापाक समुद्र देखा है...
हा मैने...
कल तक जो कश्मीर हमारा होता था..
रहते थे बेखौफ जमाना होता था..
छीन लिया अब चैन जिहादी नारों ने..
दहशतगर्दी फैलाते अखबारों ने..
बहती आंखे, सूना अम्बर देखा है..
हा मैने …
जिन्हें पढाया बापू ने हुशियारी से..
आहत है अब चेलों की गद्दारी से..
घर मे चेले घात लगाते देखे है..
बंदूकों से घाव लगाते देखे है..
पकडे हर एक हाथ को खंजर देखा है...
हा मैने ....
शासन ओर प्रशासन सब खामोश रहे..
कटते हिन्दु देख के सब मदहोश रहे..
कत्लेआम मचा था स्वर्ग सी घाटी मे..
ढेरों कातिल झूम रहे आबादी मे…
मानव ओर जल्लाद का अंतर देखा है...
हा मैने....
कर दुष्कर्म बदन को काटा आरों से..
चीखे दब गई जिहादी सब नारों से..
चौबीस लाशों पर हंसते और गातों को..
हा मैने देखा है उन जल्लादों को..
लाशो के ढेरों पर क्रंदन देखा है…
हा मैने….
लाखों मन्दिर तोडे, तोडी यज्ञशाला…
मस्जिद की आवाज पे तोडा गुरुद्वारा..
लाखों की श्रद्धा सम्मान को तोड दिया..
हिन्दु मुस्लिम एक भ्रम को तोड दिया..
धर्म पे बंटती मानवता को देखा है…
हा मैने….
बेटी को ब्याहने के सपने टूट गये…
कुछ ऐसे थे हमसे अपने छूट गये…
कल तक जिनके काफी मौज बहारे थी..
अब शिविरों के कटती रात सहारे थी..
मरती भूख सिसकता बचपन देखा है..
हा मैने…
सेकुलर सोचों ने देश लुटाया है..
शिक्षित कुछ लोगों ने सच छुपाया है..
आतंकी अकबर को खुदा सा दिखलाया..
भगत सिंह, सुखदेव को गुण्डा बतलाया..
यासीन से गद्दार की खिदमत देखा है..
हा मैने…
जो हमलावर को भी महान बताते हो..
सांगा, प्रताप, शिवा इतिहास छुपाते हो..
जिनको हिन्दु असहिषूण से लगते है..
सनातनी जिनकी आंखों मे चुभते है..
सालो उस सरकार का बंधन देखा है..
हा मैने....
इतने जख्म लगे है क्या दिखलाऊ मै..
सारे मंजर यांद है क्या बतलाऊ मै..
अब्बा, भाईजानों से धोखा खाया है..
ना जाने कितनों को मैने गवाया है..
टोपी पर विस्वास को जर्जर देखा है...
हा मैने...
सोये लाखों है मै उन्हे जगाता हूं...
क्या बिती है हमपर यांद दिलाता हूं...
जातिवाद मे बंटे रहे हम सालों से..
बणिया, ठाकर, दलित, ब्राह्मणी जालों से..
हर हिन्दु को कौम पे पिटते देखा है...
हा मैने....
बोलो किस किस ने पुरस्कार लौटाये थे..
जब कश्मीर मे जिहादी बौराये थे…
लाखों हिन्दु छोड स्वर्ग को चले गये…
वो अपने ही देश मे ऐसे छले गये…
मैने छलकते आंसु मे गम देखा है…
अब भी समय है " धीर" धर्म को जानलो तुम..
सनातनी कर्त्तव्यों को पहचान लो तुम..
हिन्दु है बस हिन्दुस्तान हमारा है..
छोडो जातीवाद हमारा नारा है..
जाती पर बंटते हिन्दुत्व को देखा है..
हा मैने....
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