Saturday, February 23, 2013

मन की अभिव्यक्ती के सौपानों पर बोलों क्या लिखता ...
बदल गये हालात वतन के बोलों क्या लिखता ....
                                                                                धीर ....

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दोस्तों के कारनामें देखकर

  दोस्तों के कारनामें देखकर दुश्मनों से दिललगी सी हो ग‌ई.. कौन है अपना इसी तलाश मे खर्च सारी जिन्दगी सी हो ग‌ई.. उस दवा पर हो भला कैसा यकीं ...