बात बस्ती में उछाली जायेगी
जिन्दगी कुछ यूँ खंगाली जायेगी ...
अब गरीबो की यहाँ पर डोलिया
अर्थियो जैसी निकाली जायेगी ...
बिक रहा मजहब यहाँ ईमान भी
हुस्न की बोली लगाली जायेगी ...
बिक रहा दौलत से अब सिन्दूर भी
मांग खूनों से सजाली जायेगी ...
अब दलालों के हवाले कौम है
सरकार भी घर में बनाली जायेगी ...
काम "धीर" आयेगी मरने के बाद
इंसानियत जो कुछ बचाली जायेगी ...
जिन्दगी कुछ यूँ खंगाली जायेगी ...
अब गरीबो की यहाँ पर डोलिया
अर्थियो जैसी निकाली जायेगी ...
बिक रहा मजहब यहाँ ईमान भी
हुस्न की बोली लगाली जायेगी ...
बिक रहा दौलत से अब सिन्दूर भी
मांग खूनों से सजाली जायेगी ...
अब दलालों के हवाले कौम है
सरकार भी घर में बनाली जायेगी ...
काम "धीर" आयेगी मरने के बाद
इंसानियत जो कुछ बचाली जायेगी ...
2 comments:
बात बस्ती में उछाली जायेगी
जिन्दगी कुछ यूँ खंगाली जायेगी ...
बहुत सुंदर ...अर्थपूर्ण पंक्तियाँ....
much much awesome.....
hey brother you have done a great work..
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