जीवन के लम्बे अभिनय में अपने भी किरदार बहुत है
दिल वालो की इस दुनिया में, दिल कम है दिलदार बहुत है...
घर- घर की अपनी पंचायत घर- घर में सरकार बहुत है
धर्म संस्कृति के गुलशन में फूल है कम पर खार बहुत है...
जिसकी लाठी गाय उसी की दो धारी तलवार बहुत है
हर चहरे पर है अब चेहरा इस जग में गद्दार बहुत है...
मैंने जब से सीखा लड़ना अब वो भी हुशियार बहुत है
बेगानों को समझे अपना ऐसो की दरकार बहुत है...
अपना जीवन कोरा कागज गम के भी अम्बार बहुत है
"धीर" सफ़र है तेरा लम्बा जीवन में मझदार बहुत है....
दिल वालो की इस दुनिया में, दिल कम है दिलदार बहुत है...
घर- घर की अपनी पंचायत घर- घर में सरकार बहुत है
धर्म संस्कृति के गुलशन में फूल है कम पर खार बहुत है...
जिसकी लाठी गाय उसी की दो धारी तलवार बहुत है
हर चहरे पर है अब चेहरा इस जग में गद्दार बहुत है...
मैंने जब से सीखा लड़ना अब वो भी हुशियार बहुत है
बेगानों को समझे अपना ऐसो की दरकार बहुत है...
अपना जीवन कोरा कागज गम के भी अम्बार बहुत है
"धीर" सफ़र है तेरा लम्बा जीवन में मझदार बहुत है....
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