हमने कितने सीस कटाये, झूठे भाईचारे मे..
कुर्बानी का बोझ चढा है, भाई भाई के नारे मे..
गुरु गोविंद सिंह के बेटे हो या हो प्रताप की कुर्बानी..
अमर सिंह और पृथ्वीराज से हमने खोये बलिदानी..
हमने औरंगजेब के हाथो, घाव घनेरे खाये है..
मोहम्मद गजनवी के हाथों यहां सोमनाथ लुटवाये है..
गौरी के हाथो दिल्ली के तख्त ताज लुटते देखे..
इस भाई भाई के नारे मे बस हिन्दू ही पिटते देखे..
दूर नहीं अब बंगलादेश बंगाल तुम्हारे आगे है..
वो भाई है और हम चारे है, सदियों से लुटे अभागे है..
मैने जिहादी नारों पर कटता वो कन्हैया देख लिया..
मैने उन हरी मीनारों का सब काला चिट्ठा देख लिया..
नफरत से नहीं डर लगता है, डर लगता भाईचारे से..
दुश्मन से " धीर" अब क्या डरना,डर लगता छदम हत्यारे से..